गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

क्या सरकार को टी.वी. चैनलों पर विज्ञापनों की अनियंत्रित बाढ़ पर नियंत्रण नहीं रखना चाहिए


मित्रों,
यह ब्लाग आप सभी का है, इस में हम समसामयिक मुद्दों पर सकारात्मक और सार्थक चर्चा करेंगें. आप सभी अपनी संयमित और स्पष्ट राय किसी भी मुद्दे पर रख सकते हैं.

आज टी.वी. देखने का आनंद खत्म सा हो गया है. इतने ज्यादा चैनलों के होने के बाबजूद विज्ञापन इतने ज्यादा बढ़ गये हैं कि कुछ देखने का मन ही नहीं करता. किसी भी चैनल पर ना तो इन विज्ञापनों में दिखाई जाने वाली सामग्री पर कोई रोक है और ना इनको दिखाने की कोई निश्चित समयसीमा. टी.वी. की स्क्रिन को भी यह विज्ञापन पूरी तरह कवर किए रहते हैं जिससे क्रिकेट या अन्य मनोरंजक कार्यक्रम के देखने में बाधा उत्पन्न होती है. आपको नहीं लगता कि सरकार को नियम बनाकर इन विज्ञापनों की समयसीमा आदि से संबंधित संहिता लागू करनी चाहिए? क्या मनोरंजन चैनल जिसे पूरा परिवार साथ बैठकर देखता है पर सेक्स और हिंसा के विज्ञापन पर रोक होनी चाहिए ?

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